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सैन्य इंजीनियरी सेवा

  1. सैन्य इंजीनियरी सेवाएं
  2. मूल संगठनात्मक ढांचा
  3. सैन्य इंजीनियरी सेवा द्वारा अनुसरण किए जा रहे नियम तथा विनियम
  4. युद्धक इंजीनियर निदेशालय
  5. निर्माण-कार्य निदेशालय
  6. कार्मिक निदेशालय
  7. समन्वय तथा कार्मिक निदेशालय
  8. मैप निदेशालय
  9. ईएसपी (इंजीनियरी सामग्री अधिप्राप्ति) निदेशालय


सैन्य इंजीनियरी सेवाएं

सैन्य इंजीनियरी सेवाएं (एम ई सी), जो 1923 में स्थापित की गई थी, भारतीय सेना के इंजीनियरी कोर के स्तंभों में से एक स्तंभ है जो सशस्त्र बलों को पश्च इंजीनियरी सहायता उपलब्ध कराती है। इसकी संपूर्ण देश में बड़ी संख्या में यूनिटें तथा उप-यूनिटें हैं जो सेना, वायुसेना, नौसेना के विभिन्न विरचनाओं, आयुध निर्माणियों, केन्द्रीय विद्यालय संगठन, सीमा सड़क संगठन तथा रक्षा अनुसंधान तथा विकास संगठन को इंजीनियरी सहायता उपलब्ध कराती है। सैन्य इंजीनियरी सेवा एक सैन्य संगठन है किंतु इसमें सेना और सिविलियन अधिकारी तथा अन्य अधीनस्थ कर्मचारी हैं। सभी निर्माण-कार्यों का निष्पादन संविदाओं के जरिए होता है, सभी रख-रखाव की सेवाओं का निष्पादन दोनों-संविदाओं तथा विभागीय तौर पर नियुक्त श्रमिकों द्वारा निष्पादित किया जाता है।

सैन्य इंजीनियरी सेवा की दोहरी भूमिका है अर्थात इंजीनियरी सलाह देना तथा निर्माण-कार्य भी करना। सैन्य इंजीनियरी सेवा भारत में सेना, नौसेना तथा वायुसेना द्वारा अपेक्षित आवश्यक सेवाओं जैसे सैन्य सड़के, बड़ी मात्रा में जल तथा विद्युत आपूर्ति, जल-मल निकास, शीतलन तथा फर्नीचर सहित सभी निर्माण कार्यों, भवनों, एयरफील्ड़ों, डॉक प्रतिष्ठानों आदि के डिजाइन, निर्माण तथा रख-रखाव के लिए जिम्मेदार है। सैन्य-इंजीनियरी सेवा इंजीनियर-इन-चीफ के समग्र नियंत्रणाधीन कार्य करती है। इसका इंजीनियर-इन-चीफ संक्रियात्मक तथा शांतिकाल के दौरान निर्माण इंजीनियरी के लिए रक्षा मंत्रालय और तीनों सेनाओं का परामर्शदाता है। इंजीनियर-इन –चीफ की सहायता के लिए छह कमान मुख्य इंजीनियर होते हैं जो आगे 31 जोनल मुख्य इंजीनियरों को पर्यवेक्षण करते हैं और आगे प्रत्येक जोन सीडब्ल्यूई तथा स्वतंत्र गैरीसन इंजीनियरों में विभाजित होता है।
सैन्य इंजीनियरी सेवा की संरचना इस तरह से बनाई गई है कि निर्माण-कार्य इंजीनियरी कोर के सिविलियनों तथा योधियों दोनों को शामिल करते हुए अधिकारियों तथा कर्मचारियों के पर्यवेक्षण के अंतर्गत संविदाओं के जरिए किया जाता है। इसके पास वास्तुविद, सिविल, इलेक्ट्रिक तथा मैकेनिकल इंजीनियरों, संरचनात्मक डिजाइनरों,मात्रा संबंधी सर्वेयरों तथा निर्माण-कार्यों के प्रशिक्षण, तैनाती और पर्यवेक्षण के लिए संविदा विशेषज्ञों की एक एकीकृत बहु-विषयक दल होता है। जन संसाधन संबंधी सभी पहलुओं जैसे अधिकारियों और कर्मचारियों की भर्ती, प्रशिक्षण, तैनाती तथा पदोन्नति पर कार्रवाई सरकारी निर्देशों में विनिर्दिष्ट किए अनुसार इंजीनियर-इन-चीफ शाखा/सेना मुख्यालय के मार्ग-निर्देशों के अंतर्गत विभिन्न मुख्यालयों के जरिए की जाती है।

इसके निर्माण-कार्यक्रम में परम्परागत भवनों, अस्पतालों, संवेदनशील तथा काम्पलेक्स प्रयोगशालाओं एवं वर्कशापों के अलावा ऊंचे-ऊंचे भवन, एयरफील्ड तथा हैंगर, डॉकयार्ड, हार्व्स, स्लिप-वे तथा अन्य समुद्री कार्य शामिल है। यह अन्य बहु विध संबद्ध आवश्यकताओं जैसे एयर-कंडीशनिंग, कोल्ड स्टोरेज, विद्युत तथा जल आपूर्ति, जल-मल व्ययन तथा अन्य सुविधाओं के संबंध में भी कार्रवाई करता है। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि सृजित की गई सभी सुविधाओं, परिसंपत्तियों तथा मूलभूत सुविधाओं को सेवायोग्य स्थिति में रखा जाता है और कुछ मामलों में सैन्य-इंजीनियरी सेवा द्वारा प्रचालित भी किया जाता है।

मूल संगठनात्मक ढांचा

एमईएस द्वारा पालन किए जा रहे नियमों और विनियम की सूची

  1. रक्षा निर्माण कार्य क्रियाविधि 2007
  2. एमईएस के विनियम (आरएमईएस) 1968
  3. मुख्य अभियंता के स्थाई आदेश।
  4. संविदा की नियमपुस्तिका 2007
  5. आवास के मानदंड 2009
  6. फर्नीचर के मानदंड।
  7. आईएएफडब्ल्यू – 2249 (संविदा की सामान्य शर्तें)।
  8. दरों की मानक अनुसूची (एसएसआर) भाग-। और भाग-॥
  9. रक्षा मंत्रालय के नीतिगत निर्देश।
  10. मुख्य अभियंता के तकनीकी अनुदेश (समय-समय पर जारी विशिष्ट विषय)।


युद्धक अभियंता निदेशालय

  1. संक्रियात्मक आयोजना, आसूचना और संभारिकी आयोजना संबंधी सामान्य स्टाफ नीति के सभी इंजीनियरिंग पहलु।
  2. टी.ए. इंजीनियर यूनिटों सहित इंजीनियर यूनिटों का आबंटन, नियोजन और अवस्थिति।
  3. रसदीकरण नीति और इंजीनियर उपस्कर और भंडार का आवंटन।
  4. रक्षा मंत्रालय के एकीकृत मुख्यालय के संयोजन में सिविल विद्युत में तथा सिविल विद्युत को इंजीनियरिंग सहायता।
  5. सर्वेक्षण और एमईएस (मिलिटरी इंजीनियर सर्विस) यूनिटों को छोड़कर इंजीनियर यूनिटों और स्थापनाओं का संगठन।
  6. स्नातकोत्तर प्रशिक्षण की आयोजना सहित इंजीनियर यूनिटों और कार्मिकों का तकनीकी प्रशिक्षण।
  7. इंजीनियरी प्रशिक्षण स्थापनाओं में सिविलियनों, विदेशी कार्मिकों, अन्य अंगों और सेवाओं के कार्मिकों तथा नौसेना और वायुसेना के कार्मिकों को इंजीनियर प्रशिक्षण के पहलु।
  8. इंजीनियरी तकनीकी सूचना का प्रकाशन।
  9. इंजीनियरी मामलों के संबंध में बाहरी संस्थाओं से संपर्क।
  10. नए उपस्कर की शुरूआत और उपस्कर के विकास के प्रयोक्ता पहलु।
  11. नीति-निर्माण में सहायता और छद्धावरण और छल के सिद्धांत।
  12. नीतियों के निर्माण में सहायता, संगठन तथा एनबीसी (आणविक जैविक और रासायनिक) युद्ध कौशल हेतु प्रशिक्षण तथा एनबीसी उपस्कर को शामिल करना।


निर्माण निदेशालय

  1. तीनों रक्षा सेनाओं, तटरक्षक बल, आयुध निर्माणियों, अनुसंधान और विकास स्थापनाओं, डीजीक्यूए स्थापनाओं तथा रक्षा मंत्रालय के अधीन अन्य संगठनों के लिए सभी निर्माण सेवाओं के तकनीकी, आयोजना, नियंत्रण, निष्पादन और समन्वय के लिए इंजीनियर-इन-चीफ के प्रति उत्तरदाई। इसके अतिरिक्त, सैनिक कूटनीतिक पहलों के भाग के रूप में विदेश मंत्रालय द्वारा निधिपोषित कतिपय निर्माण।
  2. निर्माण बजट के प्रबंधन में लेखा परीक्षा आपत्तियों सहित सभी अनियमितताओं और मुद्दों के निपटान के लिए उत्तरदाई ।
  3. एमईएस की स्थापना के संगठन और स्वीकृति सहित निर्माण नीतियों और प्रक्रियाओं के लिए उत्तरदाई।
  4. रक्षा निर्माण कार्यों के लिए विशिष्टीकृत डिजाइन के लिए उत्तरदाई तथा तीनों सेनाओं, तटरक्षक बल और अन्य एजेंसियों को उनकी निर्माण सेवाओं के संबंध में सलाह देना।
  5. ई-एन-सी ब्रांच द्वारा शुरू किए गए रक्षा निर्माण कार्यों में उपयोगिता सेवाओं की योजना बनाने और प्रावधान सुनिश्चित करने के लिए उत्तरदाई।
  6. रक्षा निर्माण कार्य के सर्वेक्षण, संविदाकारों/विक्रेताओं का प्रबंधन और विवाद समाधान के लिए उत्तरदाई।
  7. ई-एन-सी की शाखा में शुरू की गई सभी स्कीमों और परियोजनाओं की छावनी आयोजना और वास्तुशिल्प संबंधी पहलुओं के लिए उत्तरदाई।
  8. निर्माण निदेशालय से संबंधित अदालती आदेशों को मानीटर करना।
  9. अवसंरचना संबंधी सहायता की प्रौद्योगिकीय शुरूआत में सुधार।
  10. ई-एन-सी शाखा और एमईएस विरचनाओं का स्वचालीकरण।


कार्मिक निदेशालय

  1. एमईएस सिविलियन कार्मिकों के संबंध में प्रशिक्षण, सतर्कता और अनुशासन के अतिरिक्त सभी कार्मिक मामलों को ई-एन-सी शाखा का कार्मिक महानिदेशालय देखता है।
  2. अधिकारियों के मामले में संघ लोक सेवा आयोग के माध्यम से तथा अधीनस्थ स्टाफ के मामले में रोजगार केन्द्रों जैसी अन्य एजेंसियों के माध्यम से भर्ती सहित समग्र जनशक्ति आयोजना।
  3. तैनाती तथा स्थानांतरण सहित संवर्ग प्रबंधन।
  4. संघ लोक सेवा आयोग और रक्षा मंत्रालय की सहायता से विभागीय प्रोन्नति समिति।
  5. न्यायालय संबंधी मामलों पर कार्रवाई करना।
  6. सभी कार्मिकों के मामले में नीति संबंधी पत्र जारी करना।
  7. याचिकाएं तथा शिकायतें।
  8. एमईएस सिविलियन स्थापनाओं, तैनातियों, पदोन्नतियों, प्रतिनियुक्तियों का प्रबंधन, सभी नियुक्तियों पर चयन, समूह 'क' तथा 'ख' सिविलियन अधिकारियों की याचिकाओं तथा अपीलों, प्रशिक्षणों का प्रबंधन।
  9. एमईएस, सीएमई तथा इंजीनियर प्रशिक्षण केन्द्रों के सभी सिविलियन अधिकारियों तथा अधीनस्थ संवर्गों के लिए सेवा नियमों तथा भर्ती नियमों का प्रबंधन।


समन्वय तथा कार्मिक निदेशालय

  1. इंजीनियर कोर के एमईएस सिविलियन अधिकारियों की सूचना प्रणाली का प्रबंधन, डोजियर तथा सेवा अभिलेखों का रख-रखाव।
  2. इंजीनियर-इन-चीफ शाखा में स्थापना संबंधी मामले।
  3. सेना कार्मिकों से संबंधित सभी सांविधिक शिकायतें/याचिकाएं तथा कानूनी मामले।
  4. जेसीओ तथा अन्य रैंक के लिए जनशक्ति आयोजना तथा भर्ती मांगे।
  5. एमईएस के अनुशासनिक तथा सतर्कता संबंधी मामलों पर कार्रवाई।
  6. आयोजना तथा मानीटरिंग कार्य, प्रशिक्षण तथा इसका बजट।
  7. इंजीनियर कोर के कर्नल कमांडेंट का चुनाव।
  8. इंजीनियर-इन-चीफ शाखा का आंतरिक प्रशासन तथा समन्वय।


एम ए पी निदेशालय

  • तीनों सेनाओं के लिए विवाहितों के लिए आवास संबंधी परियोजनाओं की आयोजना, निष्पादन तथा मानीटरी।


ई एस पी (इंजीनियर सामान अधिप्राप्ति) निदेशालय

  1. इंजीनियर मूल के इंजीनियर सामान के संबंध में समान नीति एवं प्रक्रियाएं।
  2. इंजीनियर मूल के इंजीनियर संयत्रों और मशीनरी की आयोजना, प्रावधान होल्डिंग तथा एमईएस सहित यूनिटों को अतिरिक्त हिस्से-पुर्जे जारी करना।
  3. रक्षा कार्यों तथा युद्धक तैयारी के लिए समुचित संभारिकी सहायता सुनिश्चित करने के लिए रक्षा मंत्रालय और उद्योग तथा रेल मंत्रालय जैसे अन्य मंत्रालयों के साथ संयत्रों तथा सामानों का प्रावधान तथा उनकी अधिप्राप्ति की प्रगति।
  4. इंजीनियर भंडार विभागों का प्रबंधन।
  5. अधिशेष स्टोर्स, संयत्रों और मशीनरी का निपटान।
  6. परियोजनाओं को त्यागने के कारण निष्फल व्यय को छोड़कर सभी सामानों के संबंध में हानियों तथा अनियमितताओं तथा लेखा परीक्षा आपत्तियों का नियमितीकरण तथा सामान और इंजीनियर यूनिटों में हानियों के नियमितीकरण पर लेखा परीक्षा ड्राफ्ट पैराओं और लोक लेखा समिति के प्रश्नों से संबंधित मामलों पर कार्रवाई करना।
  7. इंजीनियर कोर के संगत सेना योजना तैयार करना।
  8. पूर्ति एवं निपटान महानिदेशालय के जरिए अधिप्राप्तियों में कमान तथा जोनल चीफ इंजीनियरों को सहायता करना।
  9. टीएंडपी तथा वाहनों सहित इंजीनियर स्टोर्स बजट का प्रबंधन।
  10. सेना बेस वर्कशाप ईएमई द्वारा इंजीनियर उपस्कर की मरम्मत का समन्वय करना।
  11. संगत विदेशी मुद्रा का प्रबंधन।