उत्तरः भारतीय नौसेना के मौजूदा बल स्तर में लगभग 150 पोत और पनडुब्बियां शामिल हैं । बल स्तर के रूप में भारतीय नौसेना की संदर्शी योजना अब प्लेटफार्मों की संख्याओं- जो कि पुरानी ‘बीन-काउंटिंग’ दर्शन जिसमें क्षमताओं पर पूरा ध्यान केंद्रित होता है, से वैचारिक रूप में संचालित है । तात्कालिक भविष्य में बल अभिवृद्धियों के रूप में हम नौसेना की मौजूदा समुद्रवर्ती क्षमता संदर्शी योजना के अनुसार पोतों की अधिप्राप्ति कर रहे हैं ।
चालू परियोजनाएं
वर्तमान में 50 से अधिक पोतों और पनडुब्बियों के निर्माण का कार्य चल रहा है । पोतों को शामिल करने की हमारी बेहतर इच्छा स्वदेशी मार्ग के माध्यम से है । उदाहरणार्थ जी आर एस ई पहले ही तीनों विशाल जलथलीय पोतों और दस जल-जैट तेज हमलावर विमान की सुपुर्दगी कर चुका है । यह यार्ड वर्तमान में उन्नत पनडुब्बी-रोधी कोर्विटों का निर्माण कर रहा है और हाल में इसे एलसीयू बनाने की संविदा प्रदान की गई है ।
दक्षिण में, कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड हमारे अत्यधिक महत्वाकांक्षी पोत अब तक के स्वदेशी विमान वाहक के निर्माण कार्य में प्रगति कर रहा है । मुम्बई में हमारा अग्रणी युद्धपोत निर्माण यार्ड मडगांव डाक्स लि. शिवालिक श्रेणी के छिपाव जलपोत के अलावा कोलकाता श्रेणी और पी-15 बी विनाशक के निर्माण कार्य में व्यस्त है । एमडीएल में स्कोरपीन श्रेणी की पनडुब्बियों का निर्माण कार्य भई चल रहा है । गोवा शिपयार्ड जिसने नौसेना और तटरक्षक के लिए कई समुद्रवर्ती गश्ती पोतों का निर्माण किया है, इस प्रकार के उन्नत रुपान्तर के कार्य में व्यस्त है ।
निजी सेक्टर की भागीदारी
वर्षों से युद्धपोत निर्माण के विशेषीकृत क्षेत्र प्रवेश करने के लिए भारतीय नौसेना ने निजी यार्ड सहित अन्य शिपयार्डों को प्रेरित करने के लिए एक विवेकशील निर्णय लिया है । इस कार्य से प्रोत्साहन मिल रहा है। क्रमशः कुछ एनओपीवी और दो कैडेट प्रशिक्षण पोतों के निर्माण के लिए मैसर्स पीपावाव शिपयार्ड लि. और एबीजी शिपयार्ड के साथ संविदाएं हो चुकी हैं ।
अंतर को कम करना
03 जून, 72 को आईएनएस नीलगिरी की कमीशनिंग से स्वदेशी युद्धपोतों के निर्माण कार्य में काफी प्रगति हुई है । विश्व में ऐसे अधिक देश नहीं हैं जिनके पास तत्काल हमलावर विमान से विमान वाहक तक युद्धपोतों की श्रेणी की विशाल विविधता पैदा करने की क्षमताएं हों । तथापि नौसेना के मास्टर प्लान में परिकल्पित क्षमताओं में अंतर को कम करने के लिए विदेश से कुछ पोतों को भी शामिल किया जा रहा है । इनमें वाहक विक्रमादित्य और इसके बाद रूस से तलवार श्रेणी के पोत शामिल हैं ।
मध्य-काल उन्नयन
इसके अतिरिक्त पोतों का मध्य-काल उन्नयन का कार्य भी प्रगति पर है । एमएलयू के पश्चात, ब्रह्मपुत्र श्रेणी के पोतों की तरह से राजपूत श्रेणी के पोत महत्वपूर्ण अवशिष्ट काल के साथ शक्तिशाली 21 वीं सदी के रूप में सामने आएंगे