उत्तरः विदेशी नौसेनाओं के साथ अभ्यासों के प्रयोजन निम्नवत हैः-
(i) संक्रियात्मक और सैद्वांतिक सुविज्ञता अर्जित करना
(ii) रूपान्तरात्मक अनुभवों को बांटना
(iii) सर्वोत्तम-अभ्यासों की जांच करना और आत्मसात करना
(iv) अन्तः-सुवाहता का उच्च स्तर प्राप्त करना
(v) तंत्रों में भागीदारी से विभिन्न सूचनाओं के माध्यम से समुद्रवर्ती क्षेत्र जागरूकता में वृद्धि करना ।
हम समस्त उपर्युक्त प्रयोजनों को अर्जित करने में सक्षम हो गए हैं और अपनी स्वयं की व्यावसायिक दक्षता और पोत निर्माण/प्रचालन क्षमताओं का प्रदर्शन भी करते हैं । विदेशों में आयोजित होने वाले कुछ अभ्यासों के साथ जहां तक प्रशांत/अटलांटिक महासागर से दूर, अन्य नौसेनाओं की भारतीय नौसेना की पहुंच का पता लग चुका है ।